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जमीन कांड से दहला बिहार: मंत्री अशोक चौधरी पर विपक्ष ही नहीं, जदयू प्रवक्ता ने भी साधा निशाना

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मोहम्मद आलम

बिहार की राजनीति इन दिनों एक बार फिर आग पर है। राज्य के मंत्री अशोक चौधरी और उनकी सांसद बेटी शांभवी चौधरी पर 200 करोड़ की ज़मीन खरीद का आरोप लगा है। यह आरोप किसी विपक्षी नेता का नहीं, बल्कि जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर का है। सवाल यह है कि जिस मामले में सत्ता और रसूख की गंध साफ़-साफ़ उठ रही हो, उस पर सरकार की ओर से चुप्पी क्यों साधी जा रही है?प्रशांत किशोर ने साफ़ कहा है कि यह सौदा महज़ ज़मीन का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और सत्ता संरक्षण का खेल है। जनता अब सीधे सवाल पूछ रही है – क्या मंत्री की कुर्सी कानून से ऊपर है? क्या बिहार में जनता की गाढ़ी कमाई और ज़मीनें नेताओं की जागीर बन चुकी हैं?अशोक चौधरी, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी मंत्रियों में माने जाते हैं, उन पर लगे आरोप मामूली नहीं हैं। बिहार की राजनीति में यह स्थापित सच है कि कोई भी बड़ा घोटाला सत्ता की सहमति के बिना संभव ही नहीं होता। यही वजह है कि सरकार की चुप्पी को अब जनता सीधे-सीधे मिलीभगत मानने लगी है।इधर, इस मामले ने नया मोड़ तब ले लिया जब जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी अशोक चौधरी पर तंज कसते हुए कहा कि “अगर मंत्री पर लगे आरोप झूठे हैं तो वह खुद सामने आकर सफाई क्यों नहीं देते? क्या चुप्पी इस बात का सबूत नहीं है कि दाल में काला ही नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है?”अब सवाल नीतीश कुमार पर भी उठ रहे हैं – क्या वह इस घोटाले पर कार्रवाई करेंगे या फिर सत्ता के समीकरण बचाने के लिए इसे भी दबा देंगे?अगर सरकार सच में अपनी साफ़ छवि और सुशासन का दावा कायम रखना चाहती है, तो उसे इस मामले की उच्चस्तरीय जांच तुरंत करानी होगी। वरना यह साफ़ संदेश जाएगा कि बिहार में कानून सिर्फ़ गरीब और बेबसों के लिए है, जबकि सत्ता में बैठे लोगों के लिए हर घोटाले का दरवाज़ा खुला है।यह मामला सिर्फ़ 200 करोड़ की ज़मीन का नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति की आत्मा पर सवाल है। जनता अब इंतज़ार नहीं करेगी—जवाब मांगेगी और हिसाब भी लेगी।

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